क्या नशीली आंखें थी उस रिसेप्शनिस्ट की क्या नशीली आंखें थी उस रिसेप्शनिस्ट की
जो कृष्णजी भी राधाजी के नहीं हो पा रहे है। जो कृष्णजी भी राधाजी के नहीं हो पा रहे है।
मैंने भी उसे मक़बरे में तड़पता छोड़ दिया, मैंने भी उसे मक़बरे में तड़पता छोड़ दिया,
एक रोटी खा सब की रोटी का इंतजाम करता है। एक रोटी खा सब की रोटी का इंतजाम करता है।
परहित जो जी जाएगा मरकर अमर हो जाएगा कर्म के ख़ाली खाते में पुण्य जमा हो जाएगा । परहित जो जी जाएगा मरकर अमर हो जाएगा कर्म के ख़ाली खाते में पुण्य जमा हो ...
अपने साथ इसे कहीं भी, ले जाया जाता है। अपने साथ इसे कहीं भी, ले जाया जाता है।